मीडिया में कुछ अपराध-सीरियल्स में तथा कुछ अपराध-आधारित मूवीज़ में अपराध के विभिन्न तरीकों को दर्शाया जाता है। इन कहानियों से जन-जागृति तो नहीं होती, अपितु अपराध के तरीकों को देख कर सामान्य अपराधियों को भी उन्हें आजमाने की प्रेरणा मिलती है। यह सब जानने के बावज़ूद अख़बार वाले सबक नहीं लेते। गैरज़िम्मेदारी का प्रमाण देखिये कि अभी हाल ही में एक अखबार ने खबर छाप दी कि शहर में एक ही सप्ताह में कई लोगों को श्वानों ने काटा है। इधर इस खबर का छपना था कि हमारी कॉलोनी के सीधे-सादे श्वानों ने भी दो ही दिनों में चार लोगों को काट खाया।