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'एक पत्र दोस्तों के नाम'

 

   मेरे प्यारे दोस्तों, मैं अपने एक सहयोगी राजनैतिक मित्र के साथ मिल कर पिछले एक माह से एक नई राजनैतिक पार्टी बनाने की क़वायद कर रहा था। आपको जान कर खुशी होगी कि हम अपने इस अभियान में सफल हो गए हैं, खुशी होनी भी चाहिए😊। न केवल पार्टी की संरचना को मूर्त रूप दिया जा चुका है, अपितु इसका नामकरण भी किया जा चुका है।

  मित्रों, हमारी इस नई राष्ट्रीय पार्टी का नाम है- 'अवापा'! कैसा लगा आपको हमारी पार्टी का नाम, बताइयेगा अवश्य। हमारी पार्टी का मुख्य उद्देश्य देशसेवा तो है ही, एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य यह भी है कि जो राजनेता देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत हैं, जिन्हें अन्य पार्टियों द्वारा तिरस्कृत किया गया है, उचित अवसर नहीं दिया गया है, उन्हें हमारी इस पार्टी में सही स्थान दिया जाए। हाँ, सही समझा आपने! यदि आप में से किसी भी शख़्स को किसी पार्टी से निराशा हासिल हुई है तो आपका स्वागत करेगी हमारी यह नई पार्टी, आपके जीवन में नई आशा का संचार करेगी। 

   कल के अखबार में निम्नांकित समाचार जब मैंने देखा तो सिद्धू जी की राजनीतिगत पीड़ा देख मन विह्वल हो उठा।             


   मैं सिद्धू जी को भी आमन्त्रित करूँगा हमसे जुड़ने के लिए। क्रिकेट से विदाई मिलने के बाद वह बेचारे कपिल शर्मा के शो में अच्छा-खासा 'ठोको ताली' का उद्घोष करते रहे थे। फिर वहाँ से निकल कर राजनीति में भी आत्मा की आवाज़ पर बीजेपी से निकले और कॉन्ग्रेस में चले गये। अब सुना है कि मनचाहा पद नहीं मिलने से उनका झुकाव 'आप पार्टी' की ओर हो रहा है। यदि वह हमारे साथ नहीं आ कर 'आप पार्टी' में जाते हैं तो भी मैं उनका इन्तज़ार करूँगा, क्योंकि मुझे विश्वास है, जल्द ही वह वहाँ से भी निकल जाएंगे या निकाले जाएंगे। मैं तब भी उन्हें अपनी पार्टी 'अवापा' में ले लूँगा, क्योंकि हमारी पार्टी तो है ही वंचित लोगों के लिए, ऐसे लोगों के लिए, जिन्हें कोई पार्टी उनका मनचाहा पद नहीं देती। हमारी पार्टी जब सत्ता में आएगी तो मुख्यमंत्री मैं नहीं बनूँगा, निश्चित रूप से सिद्धू जी को ही बनाऊँगा। मैं तो मात्र पार्टी का संरक्षक रह कर ही अपनी सेवाएँ देता रहूँगा। 

   मित्रों, 'मुख्यमंत्री' पद मैंने भले ही सिद्धू जी के लिए आरक्षित कर लिया है, किन्तु बात यहीं खत्म नहीं हो जाती। आप में से कोई भी या सिद्धू जी जैसे जो भी लोग मेरी पार्टी से जुड़ना चाहेंगे, मैं उन सभी को उनके मनचाहे विभाग का मंत्री बनाऊँगा, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि इच्छित पद न मिलने पर हमारी पार्टी का कोई भी सदस्य पार्टी छोड़ कर चला जाए। ऐसे सभी अति महत्वाकांक्षी लोगों के लिए हमारी पार्टी का स्वागत-गान होगा- 'कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ जब तुम्हें छोड़ दे, तब तुम आना मेरे दोस्तों, दर 'अवापा' का खुला है तुम्हारे लिए।'

    मैं अपनी पार्टी 'अवापा' का पूरा नाम व चुनाव चिन्ह तो बताना ही भूल गया मित्रों, पूरा नाम है 'अवसरवादी पार्टी' और चुनाव चिन्ह है 'गिरगिट'! 

                                           

  ... तो स्वहित में प्रचारित, प्रसारित करें आपकी अपनी पार्टी 'अवापा' को, ताकि अगले चुनाव में पार्टी प्रचण्ड बहुमत से विजयी हो😇। 

                                                                     *********

 

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना गुरुवार 19 जुलाई 2021 को साझा की गई है ,
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरी रचना को सम्मान देने के लिए अन्तःस्तल से आभारी हूँ महोदया !

      हटाएं
  2. उव्वाहहहह...
    आवापा..
    हर प्राणी है इसका सदस्य..
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी यशोदा जी, बहुत धन्यवाद आपका ! और हाँ, 'अवापा' का हरेक सदस्य मंत्री-पद भी प्राप्त करेगा😛!

      हटाएं
  3. क्या बात है शानदार कटाक्ष आदरणीय सर।
    प्रणाम
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर नमस्कार! सराहना के लिए तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ श्वेता जी!

      हटाएं
  4. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-7-21) को "प्राकृतिक सुषमा"(चर्चा अंक- 4131) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर अभिनन्दन कामिनी जी ! मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान देने व मुझे आमन्त्रित करने के लिए सस्नेह आभार महोदया !

      हटाएं
  5. वाह! बहुत ही बढ़िया कहा । आनंद आ गया । हार्दिक नमन ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अन्तःस्तल से आभार व्यक्त करता हूँ अमृता जी ! मेरा भी सविनय नमस्कार स्वीकारें।

      हटाएं
  6. कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ जब तुम्हें छोड़ दे, तब तुम आना मेरे दोस्तों, दर 'अवापा' का खुला है तुम्हारे लिए।'😂
    वाह ! शानदार कटाक्ष 👌👌

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह!!!
    ऐसे महान दलबदलू जैसे नेताओं के लिए अवापा जैसी पार्टी होनी ही चाहिए...
    धारदार व्यंग...लाजवाब।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत खूब आदरणीय सर , चाटुकारों और अवसरवादियों के लिए दुर्लभ अवसर है सत्तासीन होने का | सटीक व्यंग और रोचक शैली | हार्दिक शुभकामनाएं आपके लिए |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया! कई वर्षों बाद मेरे ब्लॉग पर तशरीफ़ लाई हैं आप रेणु महोदया😊!

      हटाएं
  9. तीक्ष्ण व्यंग्य अपनी इंगिति में सफल..

    जवाब देंहटाएं
  10. कुछ दिनों बाद पता चला कि ''कई'' इसमे जबरन शामिल हो गए हैं और अब यह सचमुच एक पार्टी बन गई है ! कई बार दु:स्वपन भी सच हो जाते हैं !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. राजनीति जिस सीमा तक अपना स्तर बिगाड़ती जा रही है, उससे लगता तो यही है कि ऐसी पार्टियों का उद्भव भी संभवतः होने लगे😊।

      हटाएं
  11. बेहतरीन व्यंग्य आदरणीय सर🙏
    सोशलमीडिया की भाषा में कहें तो, मोज कर दी आपने तो! 😆😆

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ स्नेहमयी महोदया !

      हटाएं
  12. अवसरवादी पार्टी और गिरगिट ! तीखा व्यंग्य।

    जवाब देंहटाएं
  13. अहा! आत्मवंचना हो तो ऐसी ।
    शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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