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कल क्या होगा...???

                                                           
    मानव-समाज के विनाश के लिए कोविड-19 का विष-पाश जिस तरह से सम्पूर्ण विश्व को जकड़ रहा है उससे उत्पन्न होने वाली भयावह स्थिति की कल्पना मैं कर पा रहा हूँ। विशेषतः मैं अपने देश भारत के परिप्रेक्ष्य में अधिक चिंतित हूँ, क्योंकि यहाँ कई लोग इस महामारी की गम्भीरता का सही आंकलन नहीं कर पा रहे हैं।
   ईश्वर करे, मेरा यह चिन्तन निरर्थक प्रमाणित हो, किन्तु कहीं तो अज्ञानवश व कहीं धर्मान्धता के कारण जो हठधर्मिता दृष्टिगत हो रही है वह एक अनियंत्रित दीर्घकालीन विनाश के प्रारम्भ का संकेत दे रही है।
   कोरोना-संक्रमण के परीक्षण के अपने नैतिक कर्तव्य की पालना के लिए कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों और उनकी सुरक्षा के लिए सहयोग कर रहे पुलिस कर्मियों पर बरगलाये गए एक धर्मविशेष के कुछ लोगों द्वारा जिस तरह से पथराव कर आक्रमण किया गया, वह घटना कुछ ऐसा ही संकेत देती है। दिल्ली में निजामुद्दीन में  एकत्र हुए तबलीग़ी जमात के लोग, जिनमें से 1०० से अधिक लोग कोरोना-संक्रमित चिन्हित भी हुए, देश के अन्य राज्यों में अनियंत्रित रूप से प्रवेश कर गए हैं। क्या यह बात देश की जनता को आतंकित करने के लिए पर्याप्त नहीं है? इनके धार्मिक नेता मौलाना साद कांधलवी ने कोरोना-कहर को इंसानों के पापों के लिए अल्लाह की सज़ा बता कर लॉक डाउन आदेश की अवहेलना के लिए जमात के लोगों को उकसाया था। दिल्ली पुलिस द्वारा 31 मार्च, 2० को मौलाना साद के विरुद्ध F.I.R. दर्ज की गई और तब से वह फरार है। कुछ जागरूक व समझदार मुस्लिम नेताओं के द्वारा समझाये जाने पर साद ने बाद में अपना बयान बदल कर जमात के लोगों से कोरोना के बचाव के लिए दिये गये सरकारी आदेशों की पालना करने को कहा। प्राप्त जानकारी के अनुसार साद ने अभी तक पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया है।
  3 अप्रेल, 20 तक में सम्पूर्ण विश्व में कुल 1030252 व्यक्ति कोविड-19 से पीड़ित हो चुके हैं और कुल 54158 व्यक्ति काल-कवलित हो चुके हैं। भारत में ही ज्ञात आंकड़ों के अनुसार अब तक कुल 2301 व्यक्ति संक्रमित हो चुके हैं और 56 व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं। भारत के यह आंकड़े अभी पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं कहे जा सकते क्योंकि सरकार के पास जाँच के संसाधन सीमित हैं और उसे जाँच में जनता का पूरा सहयोग भी नहीं मिल पा रहा है। 
    सुना जा रहा है कि वर्तमान लॉक डाउन आदेश में कुछ ढील दी जाने की बात हो रही है, जबकि हालात ऐसे हैं कि कोरोना से बचाव के लिए एहतियाती उपाय के रूप में कर्फ्यू लगाने जैसा कदम उठाया जाना चाहिए। 
   अधिकांश देशों में स्थिति पर नियंत्रण के प्रभावी उपाय किये जा रहे हैं और उन्हें इसमें सफलता भी मिल रही है, किन्तु यदि भारत में हालत ऐसे ही रहे तो मैं आगे की स्थिति का अनुमान कर काँप उठता हूँ। यदि सरकार ने समय रहते कठोर कदम नहीं उठाये तो समूचे शेष विश्व के संक्रमितों की कुल संख्या से भी अधिक संख्या भारत के संक्रमितों की होगी, इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। यहाँ संक्रमितों की संख्या इतनी हो जाएगी कि गणना करने के लिए संगणकों को बाहर से आयातित करना पड़ जायेगा। 
   एक भयावह परिदृश्य इस रूप में भी सामने आ सकता है कि सुदूर ग्रामीण भूभाग में भी यदि इस संक्रमण ने विस्तार ले लिया तो संभव है कि इस बीमारी के अलावा लोगों में अराजकता भी व्याप्त हो जाए। हम बाहर के शत्रु से तो फिर भी लड़ सकते हैं, किन्तु...
    हमारे देश की आर्थिक व भौगोलिक स्थिति तथा हम देशवासियों की विकृत मानसिकता को दृष्टिगत रखते हुए मेरी राय है कि देश में इस समय आपातकाल की घोषणा कर दी जानी चाहिए, ताकि इस महामारी पर समुचित नियंत्रण स्थापित किया जा सके। 
  गम्भीर चिन्तन की आवश्यकता है, समय रहते सही निर्णय लेने की आवश्यकता है।


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टिप्पणियाँ

  1. कोरोना पर बहुत ही सटीक चिंतन आदरणीय सर | इस लेख के बाद कोरोना के बहुत से घटना क्रम बीत चुके | पर लॉकडाउन खोलने में बहुत ही जल्दबाजी की गयी | शायद कुछ और इन्तजार के अच्छे परिणाम आते | खेद है कि देर से प्र प्रतिक्रिया दे पाई | सादर

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  2. बहुत-बहुत धन्यवाद रेणु जी! आपने एक ही दिन में मेरी इतनी रचनाएँ पढ़ कर इतनी सुन्दर प्रतिक्रियाएं भी दीं, इसके लिए तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ।

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