साँप-छछूंदर की गति हो गई है 'AAP' की ! यदि किसी का भी समर्थन नहीं लेकर सरकार बनाने से इन्कार करते हैं तो लोग कहेंगे कि जनता को नए चुनावों में धकेल दिया और यदि किसी भी एक का समर्थन लेकर सरकार बनाते हैं तो कहेंगे कि यह पार्टी आदर्शों का ढोंग कर रही थी।
फिर भी AAP के द्वारा बिना किसी की परवाह किये दृढ़तापूर्वक सरकार बनाने से इन्कार कर दिया जाना उचित होगा, अन्यथा अन्य पार्टियों में और उसमे कोई अन्तर नहीं रह जाएगा।कुछ प्रतीक्षा करें, हो सकता है कॉन्ग्रेस में से कुछ विधायकों का हृदय-परिवर्तन हो जाय और वे BJP में शामिल हो जाएँ और तब BJP अपनी सरकार बना ले। दोनों पार्टियों की अब तक की संस्कृति तो यही रही है।यदि ऐसा कुछ नहीं होता है तो हो जाने दें नये चुनाव। नये चुनावों का खर्च किसी भी एक बड़े घोटाले से तो कम ही होगा।
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