मेरे एक मित्र ने मुझसे एक नितान्त व्यक्तिगत प्रश्न पूछ लिया- "तुम लोग अपने बेटे से अधिक प्यार करते हो या बिटिया से?" "यह कैसा प्रश्न है यार? हम तो दोनों से बराबर प्यार करते हैं।" -मैंने बेबाकी से जवाब दिया। "फिर भी कुछ तो फर्क होगा, सही-सही बताओ न दोस्त!" "सही जानना चाहते हो तो सुनो! हम अपनी बिटिया को बेटे से अधिक प्यार करते हैं और..." "और...और क्या?" -मित्र के चेहरे पर संतोष की मुस्कान थी। उन्हें शायद अपना प्रश्न पूछना सार्थक लगा था। "और अपने बेटे को बिटिया से अधिक प्यार करते हैं।" -मैंने अपना वाक्य पूरा किया। सुन कर मित्रवर असहज हो उठे और अनायास ही वार्तालाप का रुख राजनीति की तरफ कर लिया। *****