जज साहब अभी तक कोर्ट में नहीं आये थे। आज आखिरी तीन गवाहियाँ होनी थीं। आज से पहले वाली तारीख में दो गवाहियां हो चुकी थीं। कोर्ट में बैठे वकील विजेन्द्र सिंह विशाखा को धीमी आवाज़ में समझा रहे थे- "विशाखा जी, बहुत सावधानी से बयान देने होंगे आपको। मैंने सुलेखा के पड़ोसी चैनसुख जी को कुछ पैसा दे कर उनके द्वारा पुलिस में दिया बयान बदलने के लिए राजी कर लिया है। अब केवल आपके बयान ही होंगे जो अभिजीत को निर्दोष साबित कर सकेंगे। सरकारी वकील बहुत होशियार है। वह हर पैंतरा इस्तेमाल करेगा, बस आपको मज़बूत रहना होगा।" "हाँ जी, मैं सोच-समझ कर जवाब दूँगी।" -विशाखा ने जवाब दिया। विशाखा के पास में ही उनके पति कमलेश व बेटी सोनाक्षी बैठे थे। कमलेश अपनी भावुक व पढ़ी-लिखी पत्नी के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त थे। अभिजीत की बहिन सोनाक्षी गुमसुम बैठी थी व कटघरे में खड़े अपने इकलौते भाई की रिहाई के लिए ईश्वर से मन ही मन प्रार्थना कर रही थी। जज साहब आये और कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई। पहले गवाह चैनसुख सरकारी वकील की जिरह क