मित्र राजेश से अस्पताल में आज अनायास ही मुलाक़ात हो गई तो पूछ बैठा - "अमां यार, कैसे हो ? कहाँ रहते हो आजकल ? घर में सब ठीकठाक है ? यहाँ कैसे आये ?" प्रश्नों की इस बौछार से उबरने के अंदाज़ में राजेश ने कहा - "बस यार, यूँ ही जरा इस पेशेंट की मदद करने आया था। इसे ऑपरेशन के लिए कुछ पैसा चाहिए था।" राजेश की इस बात से प्रभावित होकर मैंने फिर पूछा - "वैरी गुड, कैसे जानते हो इसे ?" लगभग घसीटते हुए एक ओर ले जाकर राजेश ने मुझे बताया कि यह वही आदमी है जो पिछले सप्ताह उसके घर में चोरी की नीयत से आया था और अचानक घर पर जाग हो जाने से उसके बेटे के हाथ पर चाक़ू मार कर छत से नीचे कूद पड़ा था और इस कारण बुरी तरह से जख्मी हो गया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर अस्पताल में भर्ती करवाया था और आज उसका ऑपरेशन होना है। हतप्रभ, मैं राजेश से कह पड़ा - " भले आदमी ! इस राक्षस को तुम मदद करने जा रहे हो जिसने तुम्हारे बेटे को चाकू मारा था। क्या तुम पागल हो गए हो ?" राजेश ने शान्त स्वर में जवाब दिया - "तुम मुझे पागल कहते हो ? मैं मानवीयता के नाते यह म