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विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र :


मैंने देखा है विश्व-पटल पर उभरते मेरे देश के समग्र विकास को - 

सुदूर किसी गांव में कहीं एकाध जगह लगे हैंडपम्प से  निकलती पतली-सी धार और पास में घड़े थामे पानी के लिए आपस में झगड़ती ग्रामीण बालाओं की कतार में; 

शहर में सर्द रात में सड़क के किनारे पड़े, हाड़ तोड़ती सर्दी से किसी असहाय भिखारी के कंपकपाते बदन में; 

कहीं अन्य जगह ऐसी ही किसी विपन्न, असमय ही बुढ़ा गई युवती के सूखे वक्ष से मुंह रगड़ते, भूख से बिलबिलाते शिशु के रूदन में; 

किसी शादी के पंडाल से बाहर फेंकी गई जूठन में से खाने योग्य वस्तु तलाशते अभावग्रस्त बच्चों की आँखों की चमक में;                                                                      

और....…और इससे भी आगे, विकास की ऊंचाइयों को देखा है

पड़ौसी मुल्कों की आतंकवादी एवं विस्तारवादी हरकतों के प्रति मेरे देश के नेताओं की बेचारगी भरी निर्लज्ज उदासीनता में; 

चुनावों से पहले मीठी मुस्कराहट के साथ अपने क्षेत्र की जनता के साथ घुल-मिल कर उनके जैसा होने का ढोंग रचकर, किसी मजदूर के हाथ से फावड़ा लेकर मिट्टी खोदते हुए, तो किसी लुहार से हथौड़ी लेकर लोहा पीटते हुए तथा चुनाव जीतने के बाद जनता के ही पैसे से खरीदी हुई चमचमाती कार के फर्राटे से  सड़क की गन्दगी लोगों के मुंह पर उछालते हुए नेताओं की अहंकार भरी निगाहों में;  

अभी तक की सभी सरकारों के चुनाव-पूर्व घोषणाओं के छलावों और आगामी चुनावों में नए-पुराने अधिकांश नेताओं द्वारा फिर से कुर्सी के लिए लपलपाती जीभ लिये बेबस जनता को छलने के लिए किये जा रहे कभी पूरे नहीं होने वाले झूठे वादों में। 

…………देखा तो आपने भी होगा विश्व के सबसे बड़े, हमारे पंगु प्रजातंत्र में यह सब-कुछ … 

टिप्पणियाँ

  1. कुर्सी के लिए लपलपाती जीभ लिये बेबस जनता को छलने के लिए किये जा रहे कभी पूरे नहीं होने वाले झूठे वादों में।
    excellent

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