सचिन बहुत ही अच्छा खिलाड़ी होने के साथ ही एक अच्छे इंसान भी हैं इस बात से पूरा इत्तेफाक रखता हूँ मैं, लेकिन जदयू सांसद शिवानन्द तिवारी द्वारा सचिन के लिए किये गए कथन में निहित असहमति की भावना से भी कुछ सीमा तक सहमत हूँ कि उन्हें 'भारत-रत्न' का सम्मान दिये जाने का कोई औचित्य नहीं है। सचिन ने अपने करियर के लिए खेला और इसी कारण उनके प्रयास देश के लिए भी गौरव का कारण बने- यही सच है। सचिन के कुछ-एक बार असफल हो जाने की स्थिति में आज उनकी प्रशंसा की इबारतें लिखने वालों में से ही कइयों ने यह भी कहा था कि सचिन केवल अपने लिए ही खेलते हैं।
मैं यह कह कर क्रिकेट में उनके योगदान को कमतर करके नहीं आंक रहा क्योंकि उन्होंने जो कुछ किया है शायद ही कोई कर पाये, लेकिन यह बात भी भुलाने योग्य नहीं है कि जितना उन्होंने क्रिकेट को दिया उससे कहीं अधिक क्रिकेट ने उन्हें लौटाया है। सचिन निस्सन्देह बहुत बड़े सम्मान के पात्र हैं, लेकिन 'भारत-रत्न' के बजाय खेलों से सम्बन्धित सर्वोच्च सम्मान दिया जाना समीचीन होता। इसके लिए 'खेल-रत्न' सम्मान दे कर उन्हें सम्मानित किया जा सकता था। संदर्भान्तर्गत ऐसे ही सम्मान के लिए हमें हॉकी के जादूगर ध्यानचंद को भी नहीं भूलना चाहिए।
मैं यह कह कर क्रिकेट में उनके योगदान को कमतर करके नहीं आंक रहा क्योंकि उन्होंने जो कुछ किया है शायद ही कोई कर पाये, लेकिन यह बात भी भुलाने योग्य नहीं है कि जितना उन्होंने क्रिकेट को दिया उससे कहीं अधिक क्रिकेट ने उन्हें लौटाया है। सचिन निस्सन्देह बहुत बड़े सम्मान के पात्र हैं, लेकिन 'भारत-रत्न' के बजाय खेलों से सम्बन्धित सर्वोच्च सम्मान दिया जाना समीचीन होता। इसके लिए 'खेल-रत्न' सम्मान दे कर उन्हें सम्मानित किया जा सकता था। संदर्भान्तर्गत ऐसे ही सम्मान के लिए हमें हॉकी के जादूगर ध्यानचंद को भी नहीं भूलना चाहिए।
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