टीवी में कहा जा रहा है कि अभी वर्षा हो रही है, लेकिन यह वर्षा नहीं है। यह तो आसमान रो रहा है क्योंकि तुम अपनी दीर्घ और अंतिम यात्रा पर जा रहे हो।
तुम ने यह निर्णय क्यों लिया, यह बताने के लिए तुम अब इस दुनिया में नहीं हो, लेकिन यह रहस्य लम्बे समय तक रहस्य नहीं रहेगा। कोई यूँ ही ऐसा कठोर निर्णय नहीं ले लेता। बहुत मुश्किल होता है अपने परिवार को बिलखता छोड़ कर यूँ चले जाने का निश्चय कर लेना, अपने लाखों प्रशंसकों को निराश छोड़ कर चले जाना। अपने सपनों को पूरा होते देखने का इन्तज़ार न कर किन परिस्थितियों के कारण तुम इस खूबसूरत दुनिया को छोड़ कर चले गये? आखिर इसके पीछे कुछ तो कारण रहा होगा सुशांत? अच्छा होता तुम बता कर जाते। तुम्हारे जाने के बाद कई लोग दर्द के, तो कई लोग घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, किन्तु एक बात तो सभी लोग मान रहे हैं कि तुम एक प्रतिभाशाली अभिनेता मात्र नहीं थे, तुम एक बेहतरीन इंसान भी थे।
तुम ने यह निर्णय क्यों लिया, यह बताने के लिए तुम अब इस दुनिया में नहीं हो, लेकिन यह रहस्य लम्बे समय तक रहस्य नहीं रहेगा। कोई यूँ ही ऐसा कठोर निर्णय नहीं ले लेता। बहुत मुश्किल होता है अपने परिवार को बिलखता छोड़ कर यूँ चले जाने का निश्चय कर लेना, अपने लाखों प्रशंसकों को निराश छोड़ कर चले जाना। अपने सपनों को पूरा होते देखने का इन्तज़ार न कर किन परिस्थितियों के कारण तुम इस खूबसूरत दुनिया को छोड़ कर चले गये? आखिर इसके पीछे कुछ तो कारण रहा होगा सुशांत? अच्छा होता तुम बता कर जाते। तुम्हारे जाने के बाद कई लोग दर्द के, तो कई लोग घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, किन्तु एक बात तो सभी लोग मान रहे हैं कि तुम एक प्रतिभाशाली अभिनेता मात्र नहीं थे, तुम एक बेहतरीन इंसान भी थे।
कुछ तो विपरीत स्थितियाँ रही ही होंगी कि पर्याप्त काम मिलने के बावज़ूद तुम्हें ऐसा कठोर निर्णय लेना पड़ा। रुपहले परदे के पीछे के घिनौने सच को उजागर करते हुए इंडस्ट्री की बोल्ड अभिनेत्री कंगना रनौत व कुछ अन्य कलाकारों के यह उद्गार कि बाहर से आने वाले कलाकारों के साथ नितान्त सौतेला व्यवहार इस उद्योग के स्थापित लोग करते हैं, तुम्हारी मनोदशा क्या रही होगी, इस पर कुछ प्रकाश अवश्य डालते हैं। जो भी हो, तुम्हें इस तरह हार नहीं माननी चाहिए थी। तुम्हें संघर्ष करना चाहिए था, बेनकाब करना चाहिए था उनको, जो तुम्हारे क़दमों में कांटे बिछाने का काम कर रहे थे। तुम्हारी ज़िन्दगी पर केवल तुम्हारा अधिकार तो नहीं था सुशान्त। ... तुम इस तरह क्यों चले गये?
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निशब्द हूँ ! आदरणीय सर | कौन सी शांति को पाने की धुन में अपनी अनमोल जान गंवाकर चले गये सुशांत | कल से मन बहुत उदास है | उनके परिवार की पीड़ा मन को व्यथित कर रही है | सुशांत शांत हो गया पर परिवार सदैव अपने होनहार लाल को खोकर कभी शांति से नहीं जीयेगा | मार्मिक पोस्ट | काश सुशांत हर मन में उमड़ रहे इस प्रश्न का उत्तर देने उपस्थित हो पाते | अश्रुपुरित नमन सुशांत ! अलविदा !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ... आभार अनीता जी!
जवाब देंहटाएंप्रश्न रह जाते हैं बस।
जवाब देंहटाएंजी, दुरुस्त फ़रमाया आपने... धन्यवाद!
हटाएंरुदन तो उन भारत माता के लाल के लिए हे जो हमारे लिए जीवन न्योछावर कर गए
जवाब देंहटाएंजी!... हर रुदन प्रतिशोध मांगता है बंधुवर!
हटाएंसही कहा आपने
जवाब देंहटाएं👍
हटाएंमर्मस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद... आभार मीना जी!
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