हमारी भारतीय संस्कृति व हिन्दू धर्म की महान विरासत को कलंकित करने वाली कुछ लोगों की रूढ़िवादी सोच पर प्रहार करती मेरी यह लघुकथा! ***** एक सप्ताह से गम्भीर रक्ताल्पता के रोग के कारण अस्पताल के जनरल वॉर्ड में भर्ती वृद्धा विमला देवी के बैड के पास रखी बैंच पर उनका पुत्र मोहित व पुत्रवधु रोहिणी, दोनों बैठे थे। विमला जी सोई हुई थीं, सो पति-पत्नी परस्पर वार्तालाप में मग्न थे। सहसा विमला जी की नींद खुली और कराहते हुए उन्होंने पीने के लिए पानी माँगा। मोहित ने उठ कर टेबल पर रखी बोतल उठाई, किन्तु उसमें पानी नहीं था। तुरंत ही वह नई बोतल लेने के लिए बाहर निकला। विमला देवी को बहुत तेज प्यास लग रही थी। कुछ क्षण तो उन्होंने सब्र रखा, लेकिन प्यास के मारे गला शुष्क हो जाने से उनकी घबराहट बढ़ गई। बेचैनी के मारे वह कराहने लगीं। पास वाले बैड पर सो रहे मरीज के पास बैठा एक युवक, जो यह सब देख-सुन रहा था, अपनी पानी की बोतल रोहिणी को दे क