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एक विनम्र अनुरोध...!

भारत- बंद की अपूर्व सफलता के लिए समता आन्दोलन समिति एवम् सर्व समाज संघर्ष समिति को बधाई तथा आन्दोलन के दौरान वातावरण में शांति व सौहार्दता बनाये रखने के लिए साधुवाद! मेरा आव्हान है अनुसूचित जाति एवम् अनुसूचित जनजाति के उन भाइयों से, जिनका व्यक्तित्व सौजन्यता एवं सकारात्मक सोच से परिपूर्ण हैं, जो वर्ग और जाति की संकीर्णता से परे हैं। मेरा आव्हान इनके नेताओं या सवर्ण वर्ग के नेताओं के प्रति नहीं है क्योंकि नेता अनुसूचित जाति एवम् अनुसूचित जनजाति के वर्ग का या सवर्णों के वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं करते। नेताओं की अलग जाति होती है, अलग वर्ग होता है। नेता अनपढ़ हो सकता है, पढ़ा-लिखा हो सकता है, लेकिन सौजन्य एवं सकारात्मक सोच वाला नहीं हुआ करता। तो, मैं दलित वर्ग के सभी भाइयों से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करूँगा कि वह देश-हित में, न्याय-हित में तथा सामाजिक समरसता बनाये रखने के लिए सवर्णों की समस्या को समझें, नेताओं की कुटिल चालों को समझें व स्वार्थपरता से ऊपर उठकर अपने विवेक का प्रयोग कर, सवर्णों के द्वारा प्रारंभ किये गए न्यायोचित आन्दोलन को अपना समर्थन दें। दलित

शेर जाग गया है...

      मैं अब तक अपने संपर्क में आये चार-पांच व्यक्तियों को सख्त नापसंद करता हूँ। आज मुझे सवर्ण-वर्ग में पैदा होने का बेहद अफ़सोस है। काश! मैं SC/ST वर्ग का होता तो उन पाँचों व्यक्तियों के विरुद्ध अनर्गल शिकायत कर के उन्हें गिरफ्तार करवा देता, कोई जांच भी नहीं होती और वह कम्बख्त सड़ते रहते जेल में। .... लेकिन ऐसा नहीं हो सकता, कम-से-कम इस जन्म में तो नहीं।    हमने समाचार पत्र में पढ़ा-- सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट कर SC/ST संशोधन विधेयक पारित किये जाने के बाद सामजिक न्याय (?) मंत्री थावर चन्द गहलोत ने कहा कि सरकार दलितों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है (यानी कि सवर्णों को बर्बाद करने को कटिबद्ध है)।    सरकार (चाहे वह किसी भी दल की हो) को सवर्णों के वोट की कोई चिंता नहीं है क्योंकि उसकी नज़रों में यह ऐसा मूर्ख वर्ग है जो सहनशीलता, विवेक और संजीदगी के दुर्गुणों से युक्त है, वह सड़कों पर उतर कर विरोध नहीं करता, तोड़फोड़ नहीं करता।    सरकार को दलित वर्ग की चिंता है (उनके वोट के कारण), उनके लिए वह सुप्रीम कोर्ट का आदेश तो क्या विधाता के विधान को भी पलटने को तत्पर हो जायेगी।    प्