क्या खूब कहा है कहने वाले ने - 'कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों!' यह लफ्ज़ किसी मुर्दे में भी जान फूंकने की ताक़त रखते हैं, लेकिन क्या यह उन दीवानों पर कुछ थोड़ा भी असर डाल सकेंगे जो मूवी 'दिलवाले' को सिनेमाघरों में देखने को बेताब हैं? अपने ज़मीर को टटोलो दोस्तों! इस फिल्म का हीरो वही शाहरुख़ खान है जिसने हमारे शान्तिप्रिय भारत देश को 'असहिष्णु' कहने वाले कुटिल लोगों की जमात में शामिल होकर हमारे वतन को बदनाम करने की गुस्ताख़ी की है। यह मूवी नहीं देखोगे तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा, ज़मीन रसातल में नहीं चली जाएगी। वतनपरस्त बनो और ऐसे शख़्स को ऐसा सबक दो कि फिर कभी ऐसी हिमाकत करने का ख़याल ही उसके ज़ेहन में न आ सके। जय हिन्द! जय भारत!