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कौन हो तुम? हिन्दू, मुसलमान, या कि एक इन्सान?

'आज की रात है ज़िन्दगी' - अमिताभ बच्चन host हैं हर रविवार को दिखाए जा रहे इस serial के। अभी रात्रि के 8.45 बज रहे हैं और मैं TV में आज का इसका एपिसोड देख रहा हूँ । आज के इस एपिसोड में जो कुछ मैंने अभी हाल देखा उससे मेरा तन-मन खिल उठा है, मेरा दिल भविष्य में कुछ और अधिक सुखद देखने की कल्पना कर प्रसन्नता से हिलोरे ले रहा है। क्यों मैं इतना भावाभिभूत हो उठा हूँ - मित्रों, बताना चाहूँगा आप सभी को। आज इस एपिसोड में अमिताभ बच्चन, रणबीर कपूर तथा दीपिका पादुकोण द्वारा सम्मानित किया गया एक बालिका 'मरियम सिद्दीकी' को। 6th में पढ़ रही बारह वर्षीय इस मुस्लिम बालिका की उपलब्धि यह थी कि वह भगवद्-गीता की एक प्रतियोगिता 'Gita Champions Leage Contest', जिसमे 3000 विद्यार्थियों ने भाग लिया था, की विजेता रही है और इसके लिए 11 लाख रुपये से पुरस्कृत की गई थी। सुश्री मरियम ने अपनी यह 11 लाख की पुरस्कार-राशि राज्य सरकार (UP) को लौटा दी ताकि इस राशि का उपयोग ज़रूरतमंद बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए किया जा सके। She said, "Education is the only route to change their destiny. I'm grateful to the UP government for conferring this honour on me. I, however, have the means to lead a reasonable life because the Almighty has been kind to my parents. But there are many children who are not as lucky as me. So, I have decided to return the cash award to the state government so that it can be used for the betterment of children in need." अमिताभ जी द्वारा पूछा जाने पर मरियम ने बताया कि वह प्रारम्भ से ही धर्मों के प्रति उत्सुक और आकर्षित रही है, सभी धर्मों के प्रति उसका समान आदर-भाव है और यह कि उसके प्रेरणा-स्रोत उसके माता-पिता हैं। Show में उसके माता-पिता भी उपस्थित थे। उसके पिता आरिफ सिद्दीकी ने बताया- "जब मरियम और भी छोटी थी तब एक दिन स्कूल से लौटने पर उसने बताया कि उसकी कक्षा में पन्द्रह हिन्दू और छः मुस्लिम बच्चे हैं। मैं इस बात से आहत हुआ कि बच्चों में यह हिन्दू-मुस्लिम की बात कहाँ से आ गई! मैं मुसलमान हूँ, लेकिन घर के बाहर केवल इंसान होता हूँ। उसी दिन से मैंने बच्ची को सही दिशा में शिक्षित करना शुरु कर दिया।" 'हर बच्ची में मरियम का दिल क्यों नहीं होता, हर इन्सान आरिफ सिद्दीकी जैसा क्यों नहीं होता?' - मेरी तरह निश्चित ही आप के मन में भी कुछ ऐसा ही ख़याल आ रहा होगा। ऐसी नज़ीरें हर इंसान के दिल को झकझोर क्यों नहीं देतीं? काश! हर हिन्दू, हर मुसलमान, हर ईसाई 'इन्सान' बन जाता! समझना होगा कि आपस में लड़कर कोई नहीं पनपेगा, तबाही होगी…केवल तबाही! आशा की एक किरण आरिफ सिद्दीकी जैसे इन्सानों को देखकर दिल के किसी कोने में चमक रही है कि मेरे देश के हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, सभी नागरिक भाईचारे की मिसाल कायम कर, हाथ में हाथ डालकर देश को ऊँचा, ऊँचा...और अधिक ऊँचा उठाने के लिए काम करेंगे। जय हिन्द!…वन्दे मातरम!!

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