Gajendra Bhatt January 9 'कैसी सज़ा हो ?' दिल्ली की गैंग-रेप की पीड़िता की आत्मा अनंत में विलीन हो चुकी है, लेकिन तथाकथित भद्र लोगों की अभद्र एवं बेशर्मी की हद तोड़ती टिप्पणियां न केवल उस आत्मा को आहत कर रही होंगी, बल्कि जन-मानस को भी उद्वेलित कर रही हैं। कुत्सित टिप्पणियों के अलावा यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह के बीभत्स एवं क्रूर दुष्कर्म करने वाले जानवरों को कड़ी सजा नहीं दी जावे। पूछा जाय उनसे कि यदि उनकी अपनी बेटी की ऐसी दशा हुई होती तो भी क्या उनकी सोच यही होती। सजा तो ऐसे दुर्दान्त दानवों के लिए यह हो कि उन्हें नपुंसक बना कर ही नहीं छोड़ा जाय, बल्कि उनका एक पैर भी काट डाला जाय ताकि उनका अपराधी मन और कोई अपराध भी न कर सके और सामाजिक प्रताड़ना सहते-सहते एक दिन अपनी ही मौत मर जायं। पता नहीं उस मासूम, दिवंगत पीड़िता के दर्द से व्याकुल संवेदनशील लोगों के आक्रोश की आग से क़ानून-निर्माताओं के मन को थोड़ी-बहुत भी तपन अनुभव हो रही होगी अथवा नहीं। लेकिन ... आज नहीं तो कल, यदि देश के निर्मम, संवेदनहीन कर्णधारों ने अपनी निर्लज्ज निष्क्रियता कायम रखी तो इस आग की