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आज की यह सुहानी धूप -

   इतने दिनों की कड़कड़ाती ठण्ड के बाद आज उदयपुर ( राज.) में कुछ तेजी लिये हुए सुकून देती धूप क्या निकली मानो तन-मन को संजीवनी मिल गई। मौसम-विज्ञान के धुरन्धरों की सभी अटकलों को धत्ता बताते हुए गत दो दिनों से चल रही बयार जैसे समय पूर्व ही बसंत के आगमन का सन्देशा दे रही है। परिवर्तन के नियम को प्रतिपादित करने वाली महान प्रकृति के हर चरण को वंदन ! 

दिल्ली में AAP-मंत्रीमंडल का शपथ-ग्रहण ---

     आज दिल्ली के रामलीला मैदान में 'आप' के नवगठित मंत्रीमंडल के सदस्यों ने पद व गोपनीयता की शपथ ली। केंद्र-सरकारों व विभिन्न राज्य-सरकारों द्वारा अब तक कितनी ही बार शपथें ली जाती रही हैं और तदर्थ समारोह भी आयोजित होते रहे हैं, लेकिन कई मायनों में आज का यह आयोजन अद्भुत और अनुकरणीय था। मंत्रियों का मेट्रो-ट्रेन में सफ़र करके समारोह स्थल पर जाना प्रतीकात्मक रूप से तो अच्छा कहा जा सकता है लेकिन इसे अधिक प्रभावकारी कदम नहीं माना जा सकता। ऐसा किया जाना इतना आवश्यक भी नहीं था क्योंकि सदैव इस तरह यात्रा करना न तो व्यवहारिक है और न ही सम्भव। फिर भी यह समारोह कई मायनों में प्रशंसा-योग्य था। निहायत ही सादगीपूर्ण ढंग से निर्वहित किये गए इस आयोजन में कोई व्यक्ति VIP नहीं था, पार्टी के नाम के अनुरूप ही मंत्री से लेकर सामान्य व्यक्ति तक हर व्यक्ति आम आदमी ही था। मंत्रियों एवं विधायकों के परिवार भी जनता के मध्य ही बैठे थे सामान्य लोगों की तरह। सभी के लिए एक जैसी कुर्सियां, एक-सी सुविधा थी इसलिए प्रवेश-पत्र का भी प्रावधान नहीं था। सही मायनों में लोकतंत्र आज देखा, न केवल दिल्ली-वासियों ने अ

मेरे शहर की आयड़ नदी...

    आज बहुत दिनों बाद पंचवटी कॉलोनी के पास आयड़ नदी की तरफ से निकलना हुआ। नदी किनारे भीड़ देख कर मैं भी रुक गया। देखा, स्वच्छ पानी से लबालब भरी नदी कल-कल करती बह रही है। मन प्रफुल्लित हो उठा, मुग्ध-भाव से चिर-प्रतीक्षित  इस मनोहारी दृश्य को अविराम निहार रहा हूँ मैं। उदयपुर में रहने वाले सभी नागरिक पिछले कई वर्षों से इस अभागी नदी में गंदे नालों व गटर से गिरते पानी का छिछला प्रवाह ही देखते आये हैं, उस समय के अलावा जब कि शहर की झीलों के ओवरफ्लो का पानी इसमें कुछ चंद दिनों के लिए भर आता है। समस्त प्रशासनिक अमला एवं  चुने हुए जन-प्रतिनिधि जब-तब जनता के समक्ष लुभावने वादे ही करते आये हैं जैसी कि उनकी फितरत है।     मेरे अलावा अन्य लोग भी मुग्ध भाव से इस सुहाने दृश्य को देख रहे हैं। आज अचानक बरसों का सपना सच हुआ देख प्रसन्नता की स्मित सभी की आँखों में झलक रही है। ऐसा लग रहा है, जैसे उदयपुर पेरिस सदृश हो गया है।    अहा! अब इस नदी में कुलांचे भरती जल-राशि सभी को कितना आल्हादित कर रही है। मैं अभी यहाँ से जाना नहीं चाहता। मेरे साथ खड़े अपलक इन मनोरम पलों को जी रहे अन्य लोग भी यहाँ से हटने का ना

दिल्ली की गैंग-रेप की पीड़िता--Posted on Facebook by me...on Dt.9-1-13

Gajendra Bhatt January 9 'कैसी सज़ा हो ?' दिल्ली की गैंग-रेप की पीड़िता की आत्मा अनंत में विलीन हो चुकी है, लेकिन तथाकथित भद्र लोगों की अभद्र एवं बेशर्मी की हद तोड़ती टिप्पणियां न केवल उस आत्मा को आहत कर रही होंगी, बल्कि जन-मानस को भी उद्वेलित कर रही हैं। कुत्सित टिप्पणियों के अलावा यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह के बीभत्स एवं क्रूर दुष्कर्म करने वाले जानवरों को कड़ी सजा नहीं दी जावे। पूछा जाय उनसे कि यदि उनकी अपनी बेटी की  ऐसी दशा हुई होती तो भी क्या उनकी सोच यही होती। सजा तो ऐसे दुर्दान्त दानवों के लिए यह हो कि उन्हें नपुंसक बना कर ही नहीं छोड़ा जाय, बल्कि उनका एक पैर भी काट डाला जाय ताकि उनका अपराधी मन और कोई अपराध भी न कर सके और सामाजिक प्रताड़ना सहते-सहते एक दिन अपनी ही मौत मर जायं। पता नहीं उस मासूम, दिवंगत पीड़िता के दर्द से व्याकुल संवेदनशील लोगों के आक्रोश की आग से क़ानून-निर्माताओं के मन को थोड़ी-बहुत भी तपन अनुभव हो रही होगी अथवा नहीं। लेकिन ... आज नहीं तो कल, यदि देश के निर्मम, संवेदनहीन कर्णधारों ने अपनी निर्लज्ज निष्क्रियता कायम रखी तो इस आग की