पूछने पर अल्ताफ मियां ने एक लम्बी सांस लेकर कैफ़ियत इस प्रकार दी - 'अमां यार क्या बताऊँ, एक छोटी-सी भूल का खामियाजा इस कदर उठाना पड़ा कि बेगम साहिबा के लिए एक अदद हीरे की अंगूठी कीमतन चालीस हज़ार रुपया कहीं से कर्ज लेकर खरीदनी पड़ी है। आज अलसुबह ही बेगम मोहतरमा ने आगाह किया कि यदि एक कीमती हीरे की अंगूठी ख़रीद कर उन्हें नज़र नहीं की तो वह मेरे खिलाफ 'मी टू (Me too)' के तहत अखबार में ख़बर निकलवा के मुझे रुसवा करवा देंगी।'
'पर भला ऐसी क्या खता हो गई आपसे?'- मैंने उत्सुकतावश पूछा।
'अरे यार, आपकी भाभीजान ने मुझे याद दिलाया कि मैंने 15 साल पहले उनके साथ घर के पिछवाड़े में छेड़छाड़ कर दी थी। मैंने उनसे कहा कि अरे तुम तो मेरी बेगम हो फिर भला क्या गुनाह हो गया, तो आंखे तरेर कर वह बोलीं कि मियां निकाह हुये तो 14 बरस हुए हैं, उस समय तो मैं ग़ैरशादीशुदा थी। अब खैरियत चाहते हो तो अंगूठी खरीद लाओ मेरे लिए, वर्ना मैं चली अखबार वालों के दफ्तर में शिकायत दर्ज़ कराने।'- अल्ताफ भाई की आवाज़ में मायूसी थी।
मैं भौंचक्का खड़ा उनका चेहरा देख रहा था, समझ नहीं पा रहा था कि उनकी बात पर हँसूँ या हमदर्दी दिखाऊँ!
तभी एक वाकया याद करके मेरे माथे पर भी पसीना आ गया कि 20 वर्ष पहले पड़ोसी की 2 वर्षीया बच्ची के गाल को मैंने प्यार से सहलाया था जब वह उसके पिता की गोद में थी। वह अभी 22 वर्षीया युवती है। अब कहीं वह भी मुझ पर...
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