एक नवयौवना युवती की कोमल भावनाओं से सजी दास्तान:- करिश्मा को जब होश आया तो वह एक अनजान कमरे में एक पलंग पर लेटी हुई थी और दो अपरिचित व्यक्ति उसके सामने एक दीवान पर बैठे हुए थे। वह हड़बड़ा कर उठ बैठी और अपने पहने हुए कपड़ों की ओर देखने लगी। कपड़े वही थे जो वह घर से पहन कर निकली थी। उसका पर्स उसके पास ही पड़ा हुआ था। उसने सामने बैठे व्यक्तियों की तरफ देख कर क्रोधित व आशंकित स्वर में पूछा- "मैं कहाँ हूँ?... तुम लोग कौन हो और मुझे यहाँ क्यों ले कर आये हो? तुम लोगों ने मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं किया?" "सब बताएँगे तुम्हें। हमने कुछ भी गलत नहीं किया है। चिंता मत करो, तुम मेरी बेटी के सामान हो।" -एक व्यक्ति ने जो कुछ अधिक उम्र का था, जवाब दिया। "तो फिर यहाँ क्यों लाये हो मुझे? यह कौन-सी जगह है?" -करिश्मा का क्रोध कुछ कम हुआ। उसने अपनी रिस्टवॉच देखी, रविवार ही था और रात के आठ बज रहे थे। उसे याद आया, शाम पाँच बजे इवनिंग वॉक के लिए वह अपनी सहेली को साथ लेने उसके घर जा रही थी कि सुनसान राह