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Showing posts from October, 2021

लैंडमार्क (लघुकथा)

मेरा पुराना मित्र विकास एक साल पहले इस शहर में आया था। मैं भी उससे तीन माह पहले ही यहाँ आया था। उसके आने की सूचना मिलने के कुछ ही दिन बाद उससे फोन पर बात कर उसके घर का पता पूछा, तो उसने चहकते हुए जवाब दिया था- "अरे वाह, तो आखिर तुम आ रहे हो! यार, मैं तो ज़बरदस्त व्यस्तता के कारण तुम से मिलने नहीं आ पाया, पर तुम तो मिलने आ सकते थे न!" "क्या बताऊँ दोस्त? कोरोना की आफत ने घर से बाहर निकलना ही दुश्वार कर दिया है, फिर भी आज हिम्मत कर रहा हूँ। तुम अपने घर का पता तो बताओ।" -मैंने कहा था।  "गली का नाम तो मुझे ठीक से याद नहीं है, लेकिन तुम ऐसा करना कि जनरल हॉस्पिटल तक आने वाली सड़क पर सीधे चले आना। हॉस्पिटल से आधा किलो मीटर पहले सड़क पर दो बड़े गड्ढे दिखाई देंगे। बड़ा वाला गड्ढा तो सड़क के एक किनारे पर है और दूसरा उससे छोटा वाला सड़क के बीचोंबीच दिखाई देगा। तो बस, बड़े गड्ढे के पास वाली गली में बायीं तरफ छः मकान छोड़ कर सातवें  मकान में रहता हूँ। मकान मालिक का नाम राजपाल सिंह है। समझ गये न?" मेरे लिए भी यह शहर नया ही था। मैं उसके बताये पते पर बिना कठिनाई के पहुँच गया था क्य...