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Showing posts from March, 2015

प्यार क्या है …?

      बायोलॉजिकली ह्रदय में चार प्रकोष्ठ होते हैं, लेकिन इस बात पर पूरा यकीन नहीं मुझे! मेरे हिसाब से ह्रदय में हजारों प्रकोष्ठ होते हैं तभी तो हम दुनिया के सभी रिश्तों से प्यार कर पाते हैं। हमें कोई भी नया रिश्ता जोड़ने के लिए ह्रदय का कोई कोना खाली नहीं करना पड़ता। वहाँ जगह बनती ही चली जाती है हर नए रिश्ते के लिए।     यह भी सही है (मुझे ऐसा लगता है) कि यदि हमारा प्यार सभी रिश्तों के लिए सच्चा है तो यह कह पाना मुश्किल है कि हम किसे अधिक प्यार करते हैं और किसे कम। हम या तो किसी से प्यार करते हैं या नहीं करते हैं- यही सत्य है। प्यार ही है जो हमें रिश्तों में बांधता है चाहे वह खून का रिश्ता हो चाहे मित्रता का। कभी यह रूमानी होता है तो कभी रूहानी। क्या खूब कहा है किसी ने-'प्यार किया नहीं जाता, प्यार हो जाता है।' और, एक शायर के अनुसार- 'प्यार बेचैनी है, मजबूरी है दिल की, इसमें किसी का किसी पर कोई एहसान नहीं।'     सम्बन्धों का एक नाज़ुक धागा होता है प्यार, चाहे वह माता-पिता और सन्तान के बीच हो, भाई और बहिन के बीच हो, पति ...